27.4.20

कुदरत ने मौका दिया है
आओ कुछ मन की करें

पसरे सन्नाटे को तोड़,
बात खुशी की, कुछ गम की करें ।

पानी दें पौधों में
खिलखिलाएं उनके साथ,
हवा बनकर छुएं उन्हें
चुभन कांटो की महसूस करें ।

उगते सूरज की लाली देखें
कोयल की कूक में झूमें,
पानी भरे परिंडों में
बातें नन्हें परिंदो से करें ।

अवसर मिला है
बच्चों के साथ का
खेलें कूदें, लौटे बचपन में,
लाड़ लड़ाएं उनके साथ
दिल खोल कर बातें करें ।

हाथ बटाएं पत्नी का, घर में,
सब्जी काटें, चटनी पीसें
उसके चेहरे पर
चुहाचुहाते पसीने को,
अपनी अंगुलियों के
पोर से साझा करें ।

आओ कुछ मन की करें ।

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