14.9.22

कोरोना या ईश्वर का कहर

कोरोना या ईश्वर का कहर
तू नाराज तो है अपने इंसान से भगवान.. 
नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद ना करता.. 
सज़ा दे रहा है कुदरत से खिलवाड़ की.. 
नहीं तो गुरुद्वारों से लंगर कभी ना उठता.. 
आज उन बारिश की बूंदों से संदेश मिला.. 
रोता तो तू भी है जब इंसान आंसू बहाता.. 
माफ़ करदे अपने बच्चों के हर गुनाह.. 
सब कहते हैं, तेरी मर्ज़ी के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता!!! 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपने विचार हमें बताये...