मुझे कहाँ मालूम था कि ...
सुख और उम्र की आपस में बनती नहीं...
कड़ी महेनत के बाद सुख को घर ले आया..
तो उम्र नाराज होकर चली गई....
आज दिल कर रहा था, बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,
पर फिर सोचा, उम्र का तकाज़ा है, मनायेगा कौन।।
एक "उम्र" के बाद "उस उम्र" की बातें "उम्र भर" याद आती हैं..
पर "वह उम्र" फिर "उम्र भर" नहीं आती..ll
"छोटे थे।" हर बात 'भुल' जाया करते थे।
दुनिया कहती थी कि,
"याद" रखना सीखो..
"बड़े हुए" अब हर बात 'याद' रहती हैं।
तो दुनिया कहती है कि,
तो दुनिया कहती है कि,
"भूलना" सीखो….!!
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