harish.arora.92123
लफ्जों से अपने आज कल नश्तर बनाता हूं
मैं परबतों को काट कर कंकर बनाता हूं
मायूसियों को छोंक कर सालन के साथ में
कड़वाहटों को घोल कर शक्कर बनाता हूं
आपनी इंसानियत को जिन्दा रखने के वास्ते
मासूमियत हो के तीखे तेवर बनाता हूं
जैसे कुम्हार चाक पर बरतन बनाता है
वैसे ही जिन्दगी के अरमान बनाता हूं
मोती जैसे लफ्जों को चमका के ए 'हरी'
अल्फाज जोड़ जोड़ कर जेवर बनाता हूं ।
मैं परबतों को काट कर कंकर बनाता हूं
मायूसियों को छोंक कर सालन के साथ में
कड़वाहटों को घोल कर शक्कर बनाता हूं
आपनी इंसानियत को जिन्दा रखने के वास्ते
मासूमियत हो के तीखे तेवर बनाता हूं
जैसे कुम्हार चाक पर बरतन बनाता है
वैसे ही जिन्दगी के अरमान बनाता हूं
मोती जैसे लफ्जों को चमका के ए 'हरी'
अल्फाज जोड़ जोड़ कर जेवर बनाता हूं ।
तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया यही रह जाना है ! कर ले कुछ अच्छे कर्म, ...
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