किताबों से ज्यादा मुझे तू
सिखाती है जिंदगी !
हर कदम पे कुछ नया तू बताती
है जिंदगी !
उसको पाना मेरे नसीब में
नहीं है तो भी बतला दे
यूं सुनहरी मंजिल दिखाकर
मुझको
क्यूं इन कांटों भरी राहों
में भटकाती है तू जिंदगी !
किताबों से ज्यादा मुझे तू
सिखाती है जिंदगी !
हर कदम पे कुछ नया तू बताती
है जिंदगी !
तू है ही ऐसी या मुझ पर
बेरहम है
मुझे करना क्या है क्यूं
नही मुझे बताती है तू जिंदगी
रात दिन एक कर दूंगा तेरे
लिए
बस यूं खामोश रहकर, क्यूं मुझे सताती है तू जिंदगी !
किताबों से ज्यादा मुझे तू
सिखाती है जिंदगी !
हर कदम पे कुछ नया तू बताती
है जिंदगी !
मैं तेरा हूं तू मेरी है, तेरे बिना मैं कुछ नहीं
ना मेरे बिना तू कुछ है
अजीब कश्मकश है तेरी खामोशी
की भी
तू संवरना चाहती है मेरे
कर्मों पर
रुक ना जाए पंख कहीं आसमान
में जाकर
शायद इसीलिए सौ बार गिराकर
कदमों पे मुझको
फिर से चलना सिखाती है तू
जिंदगी
किताबों से ज्यादा मुझे तू
सिखाती है जिंदगी !