29.9.17

"तेरा-मेरा रिश्ता"
धीरे-धीरे उतर रहा है
देखो दरिया बिखर रहा है |
जाने क्यों कहते हैं सारे
तुझ पर मेरा असर रहा है |

कई नजारे देखे- लेकिन
वही शरीके नजर रहा है |
जुल्फ झटक इतराने वाला
निथर रहा है, निखर रहा है |
जिसकी मेहंदी में लिक्खा हूं
वो ही मेरा हुनर रहा है |
यादों के बहते दरिया में
एक जजीरा उभर रहा है |
तेरा-मेरा रिश्ता जैसे
खुश्बू से तर सफर रहा है