12.8.16

जिन्दगी चलती हे चलते रहिए
वक्त के साथ बदलते रहिए 
राह मुश्किल सही वो भी निकल जायेगी
ठोकरें खा के भी सम्भलते रहिए
ये अंधेरा हे जो जुगनू से भी घबराता है
सूर्य ना हो तो चरागों सा जलते रहिए
उम्र भर कोई यहाँ साथ नही देता
हो अकेले भी तो हँसते रहिए
कोई खुशबू नही ऐसी है जो ताउम्र रहे
जिन्दगी फूल है थोड़ा महकते रहिए...
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11.8.16

जीवन से कभी अपने नजरे न चुराना
पथरीली राहे आएगी बहुत सफर में तेरे,
पगडंडियों को मगर न भूल जाना ।
हो सकता है न पहुचे कोई किरण
तुम तक उजियारे की
चिरागे दिल को तब भी तुम जलाना ।
हो सकता है न हो समंदर तकदीर में तेरी,
कागज की नाव छोटे पोखर में भी तैराना
कभी जीवन से नजरे न चुराना ।
थक जाओ चाहे पाखी
लत पंखो को, उड़ने को ही लगाना
फड़फड़ाएगी हवा आस-पास भी तुम्हारे
रात भर फिर भी मशाले-इश्क को जलाना ।
बहुत से लोग होंगे, जो तुमसे तेज दौड़ेंगे,
साथ चल रहे साथी का, फिर भी तुम साथ निभाना ।
तिनका-तिनका घोसला, छितरा देगा बवंडर
तुम फिर से समेटना कतरे, फिर से नीड़ बनाना
कभी जीवन से नजरे न चुराना ।
टूटे हुए रिश्तों की भी चटख रखना संजोकर
बिखरे हुए रंगो से, घर की दहलीज सजाना ।
छीन ले मुकद्दर तुम्हारा तुमसे खुशिया तो क्या,
हाथ में अपनी लकीरे तुम खुद ही बनाना ।
हरी भी देगा साथ तुम्हारा राहबर-ए-सफर
खुद तुम, लेकिन अपना भी साथ निभाना
कभी जीवन से नजरे न चुराना ।
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