"मंजिल की ओर"
खुशी को मान खुशी और गम को गम करके ,
जरा सी बात को मत तूल दे अहम करके |
कद और बढता है सर को जरा खम करके ,
न हो तो देख कभी अपने मैं को हम करके |
वही गवाह था इन हादिसात का तन्हा ,
जुबान छीन ली उसकी भी मोहतरम करके |
हमी न पढ़ सके तहरीर बहते पानी पर ,
नहीं तो मौजें गई कितनी कुछ रकम करके |
उस एक सच से मुसीबत में जान थी कितनी ,
मजे में कट भी गई जिंदगी भरम करके |
अजब नहीं कि नजारों को कल तरस जाएं ,
न हो तो आप भी रख लें कोई सनम करके |
मिजाज अपना परिंदा सिफत रहा लेकिन ,
मिली हैं मंजिले हमको कदम-कदम करके |
www.facebook.com/harish.arora.92123
खुशी को मान खुशी और गम को गम करके ,
जरा सी बात को मत तूल दे अहम करके |
कद और बढता है सर को जरा खम करके ,
न हो तो देख कभी अपने मैं को हम करके |
वही गवाह था इन हादिसात का तन्हा ,
जुबान छीन ली उसकी भी मोहतरम करके |
हमी न पढ़ सके तहरीर बहते पानी पर ,
नहीं तो मौजें गई कितनी कुछ रकम करके |
उस एक सच से मुसीबत में जान थी कितनी ,
मजे में कट भी गई जिंदगी भरम करके |
अजब नहीं कि नजारों को कल तरस जाएं ,
न हो तो आप भी रख लें कोई सनम करके |
मिजाज अपना परिंदा सिफत रहा लेकिन ,
मिली हैं मंजिले हमको कदम-कदम करके |
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